स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के साधक [ health education ]

 स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रमों के साधक एवं उनके सम्बन्ध-:

           स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तीन साधक हैं-
(A) स्वस्थ स्कूल जीवनयापन (Healthful School Living)
(B) स्वास्थ्य सेवाएं (Health Services)
(C) स्वास्थ्य निर्देश (Health Instructions)।
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A. स्वस्थ स्कूल जीवनयापन 
इसमें स्कूल के स्वस्थ वातावरण के विकास के लिए जो विभिन्न विधियाँ ग्रहण की जाती हैं, उनके द्वारा स्कूल के स्वस्थ, सुरक्षित एवं स्वच्छ घिराव को महत्त्व दिया जाता है। यह स्कूल के पदाधिकारी का स्थान, आस-पास के वातावरण, खेल का मैदान, स्कूल की इमारत, कक्षा के कमरों के निर्माण इत्यादि के विषय में मार्गदर्शन करती है। स्कूल औद्योगिक, व्यस्त ट्रैफिक एवं घने इलाकों से दूर एक सुरक्षित स्थान पर होना चाहिए। स्कूल के आस-पास हरियाली ताजगी का प्राकृतिक अहसास करवाती है। स्कूल की इमारत पूर्ण सुरक्षित मापों के साथ निर्मित होनी चाहिए एवं छोटे बच्चों के लिए खतरनाक बिन्दुओं की रोकथाम होनी चाहिए। कक्षा का कमरा इतना बड़ा होना चाहिए जोकि बच्चों को सुखी बनाने के योग्य अर्थात् कक्षा का कमरा कक्षा की क्षमता के अनुसार एवं इसके अतिरिक्त उच्च हवादार प्रणाली के साथ निर्मित होना
चाहिए। अल्प और बड़ी खेलों के लिए पर्याप्त क्रीड़ा-क्षेत्र होना चाहिए। खेलने की सतह खेलों के खेलने के
लिए सुरक्षित होनी चाहिए। यहां पर झूला झूलने की, लटकने की, फिसलने की, ढेंकुल पर झूलने इत्यादि का
प्रबन्ध होना चाहिए।
B.  स्वास्थ्य सेवाएं 
इस कार्यक्रम में स्कूल स्वास्थ्य के विकास के लिए विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा एवं दूसरी चिकित्सा सम्बन्धी सहायता का प्रबन्ध करता है। एक स्कूल में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र चलाने के लिए एक नियमित डॉक्टर एवं दूसरे चिकित्सा सम्बन्धी कर्मचारी होने चाहिएं। उनके पास सभी बच्चों के स्वास्थ्य स्तर का रिकार्ड होना चाहिए। वहां पर विद्यार्थियों की समय-समय पर चिकित्सक जाँच होनी चाहिए। बीमार, कमज़ोर,
रोगी अथवा अन्य स्वास्थ्य समस्याओं वाले बच्चों की उचित जांच एवं अच्छा इलाज होना चाहिए। स्कूली बच्चों
में विभिन्न रोगों जैसे पोलियो, हेपेटाइटस, मलेरिया, चिकन पाक्स, स्माल पाक्स, टेटनस इत्यादि के विरोध में
टीकाकरण अथवा मुक्तिकरण होना चाहिए। स्कूल को अपने विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों के लिए सुरक्षित स्वास्थ्य सेवा का प्रबन्ध करना चाहिए। स्कूल को विद्यार्थियों के लिए उनके आयु समूहों के अनुसार उचित बैठने के बैंचों का प्रबन्ध करना चाहिए। स्कूल में खेलकूद एवं मन बहलाव की क्रियाएं होनी चाहिएं एवं उनके प्रशिक्षण के मार्गदर्शन और नियन्त्रण के लिए एक उचित शारीरिक शिक्षा का अध्यापक रखना चाहिए। उचित एवं सुरक्षित पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। आरोग्य प्रबन्ध प्रणाली को स्थायी करना चाहिए।
C.स्वास्थ्य निर्देश 
इसमें स्कूल स्वास्थ्य की उन्नति के लिए विद्यार्थियों, माता-पिता, अभिभावकों एवं दूसरों को शिक्षित करने के लिए विभिन्न ढंगों एवं विधियों को ग्रहण करता है। यह स्वास्थ्य शिक्षा का ज्ञान देती है एवं स्वस्थ जीवन-यापन एवं सेवाओं को उन्नत करती है। स्वास्थ्य से सम्बन्धित निर्देश दिए जाते हैं। ये कक्षा के कमरे में पढ़ाकर, उपदेश देकर, मार्गदर्शन के द्वारा अथवा विज्ञापन के विभिन्न ढंगों जैसे तस्वीरों, फोटो, सूची-पत्र, चित्रपट लगाकर इत्यादि के द्वारा हो सकती है। स्वास्थ्य निर्देश हमें स्वास्थ्य शिक्षा, जोकि उच्च स्वास्थ्य विकास के उद्देश्य होते हैं के विषय में ज्ञान देते हैं। यह स्वस्थ व स्वास्थ्य सम्बन्धी आदतों का विकास एवं उन्नत करते हैं।य हमें स्वास्थ्य से सम्बन्धित खतरे एवं समस्याओं के बुरे प्रभावों से बचाव के लिए मार्गदर्शन करते हैं। इसलिए स्वास्थ्य निर्देश उच्च स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शक कदम  
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम का महत्त्व 

(1) स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम बच्चों को उचित वृद्धि एवं विकास के लिए पूर्ण अवसर प्रदान करता है।
(2) यह शिक्षित करता है एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं, स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के प्रबन्ध एवं स्वास्थ्य
से सम्बन्धित समस्याओं के प्रतिबन्ध से सम्बन्धित ज्ञान प्रदान करती है।
(3) यह हमें सुरक्षित एवं स्वस्थ वातावरण को विकसित करने के लिए विभिन्न विधियों एवं ढंगों का मार्ग दर्शन
करता है।
(4) स्वास्थ्य आदतों को उन्नत एवं विकसित करता है।
(5) यह पूर्व अवस्थाओं में रोगों की जांच करके समाज की मदद करती है।
(6) यह विभिन्न फैलने वाले रोगों की रोकथाम एवं इलाज के विषय में मार्ग दर्शन करती है।
(7) यह हमें स्वास्थ्य झंझटों के प्रति वैज्ञानिक, चिकित्सा सम्बन्धी उन्नति के विषय में ज्ञान देती है।
(8) यह हमें आहार, कसरत, डील-डौल एवं व्यक्तिगत देखभाल से सम्बन्धित शिक्षा देती है।
(9) यह हमें स्वास्थ्य, स्वास्थ्य शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, मन बहलावा एवं क्रीड़ा इत्यादि के महत्त्व के बारे में मार्ग
दर्शन करती है
(10) यह बच्चों के अधिकतम उत्पादित विकास के सम्बन्ध में अध्यापकों, माता-पिता एवं अभिभावकों को शिक्षित
करती है एवं सलाह देती है।
(11) यह एक व्यक्ति, समाज, बिरादरी एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य में स्वस्थ जीवनयापन, स्वास्थ्य सेवाएं एवं स्वास्थ्य






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