kho-kho full info in hindi

                                                               खो-खो का इतिहास
                                                           history of kho-kho 

खो-खो भारतीय खेल है। यह सारे भारतवर्ष में लड़के और लड़कियों द्वारा खेली जाती है। खो-खो महाराष्ट्र में विकसित हुई। इस खेल का सम्बन्ध महाराष्ट्र के पहाड़ों और व्यायामशालाओं से रहा है। खो-खो का जन्म महागष्ट्र के नगर पूना में हुआ माना जाता है। इसके पश्चात्‌ हनुमान व्यायाम प्रचारिक मंडल, बड़ौदा के द्वारा खो-खो खेल को आधुनिक रूप प्रदान किया गया है। सन्‌ 1960 में भारतीय खो-खो फैडरेशन की स्थापना की गई और इसी वर्ष पुरुषों की प्रथम राष्ट्रीय चैम्पियनशिप प्रतियोगिता करवाई गई। अगले वर्ष सन्‌ 1961 में महिलाओं का टूर्नामैंट राष्ट्रीय स्तर पर करवाया गया लेकिन अभी तक एशियन खेलों में खो-खो को शामिल नहीं किया गया है। 

1963-64 में इंदौर में यह फैसला हुआ कि खो-खो खेलने वाले अच्छे खिलाड़ियों को 'ईनाम' दिया जाए। इस फैसले के अनुसार महिला वर्ग के लिए झांसी की रानी और पुरुष वर्ग के लिए एकलव्य पुरस्कार रखा गया। 1963 में मुम्बई में गोल्ड ट्राफी टूर्नामेंट करवाया जाने लगा। 1970-72 में हैदराबाद में 16 वर्ष की आयु के खिलाड़ियों के लिए अलग-अलग से खो-खो प्रतियोगिता करवाई जाने लगी जिसमें वीर अभिमन्यु पुरस्कार देने के लिए स्वीकृति दी गई। 1976-78 में बंगलोर में खो-खो खेल का प्रशिक्षण  द्वारा देना शुरू किया गया। भारतवर्ष में इस खेल को खोखो फैडरेशन ऑफ इण्डिया द्वारा नियन्त्रित किया गया। 

                                                      
                                                    खो-खो के नये सामान्य नियम                                          
                                                              basic rules of kho-kho 

1. खो-खो का मैदान आयताकार होता है। यह 27 मीटर लम्बा तथा 16 मीटर चौड़ा होता है।

 2. खो-खो की खेल में एक टीम 12 खिलाड़ियों की होती है जिसमें 9 खिलाड़ी खेलते हैं तथा तीन खिलाड़ी सानपन होते हैं।

3. खेल का आरम्भ टॉस द्वारा होता है। टॉस जं। ने वाली यम का कप्तान चेज़र या रनर बनने का निर्णय करता है

4 एक चेज़र को छोड़कर शेष सभी चेज़र वर्ग में इस प्रकार बैठेंगे कि किसी पास-पास बैठे चेज़र का मुँह एक एक् द्शा मे होना चाहिए

5. खो-बैठे हुए चेज़्र को पीछे से देनी चाहिए। कोबों इनिग्स जल 

6. खो-खो के मैच की दो इनिंग्ज़ होती है। दोनों इनिंग्त़ में से अधिक प्वाइंट लेने बाली टीम को विजय जाता है। 

7. खेल के दौरान किसी खिलाड़ी को चोट लग जाने की दशा में रैफरी की अनुमति से कोई अन्य छिलाले स्थान पर खेल सकता है।

 8. कार्यशील चेज्ञर के शरीर का कोई भी अंग केन्द्रीय पट्टी को स्पर्श नहीं करना चाहिए। 9. यदि कोई टीम बराबर रह जाती है तो फिर एक और इंनिग्ज़ लगाई जाती है।  

10. खेल का समय 9-5-9, 10, 9-5-9 का होता है। 

11. यदि समय से पहले सभी धावक आऊट हो जाते हैं तो वे उसी पहले वाले क्रम के अनुसार अपने धावक देख  दुबारा भेजता है।

 12. खो देने के बाद, एक्टिव चेज़र को खाली किए हुए स्थान पर ही बैठ जाना चाहिए। 

13. एक रक्षक खिलाड़ी आऊट घोषित हो जाता है। 

14. खेल के अभ्यास में व प्रतियोगिता के दौरान नियमों का पालन आवश्यक करना चाहिए। 

15. तैयारी के समय खिलाड़ियों को अनुकूलन ज़्रूर करना चाहिए।

 16. खिलाड़ियों को उच्च गुणवत्ता वाले खेल उपकरणों का इस्तेमाल कर लेना चाहिए। 

17. खिलाड़ियों को तकनीक तथा युक्ति की दृष्टि से अच्छा होना चाहिए। “खो-खो ” के मैदान का विशिष्ट उल्लेख

                                                                   खो खो का मैदान 
                                                             play ground of kho kho

th, td { padding-top: 10px; padding-bottom: 20px; padding-left: 30px; padding-right: 40px; }
Previous
Next Post »

Click And Feel Like Free