Judo

                            जूडो
                            JUDO
जूडो के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी दें
(1) जूडो मैदान का आकार  -वर्गाकार
(2) जूडो मैदान की एक भुजा की लम्बाई -10 मीटर
(3) अधिकारियों की संख्या = तीन (1 रफी, 2 जज, 1 स्कोर), 2 याम कोपर
(4) पोशाक का नाम-  जूडोगी
(5) जूडो के भारों की गिनती - 8 पुरुषों के लिए
(6) जूडो के भारों की गिनती -7 स्त्रियों के लिए
(7) जूडो के भारों की गिनती - जूनियर के लिए
(8) जूडो खेल का समय -4 मिनट (पुरुष और महिला)
(9) जूडो के मैदान का नाम- सिआइजो -
10) प्लेटफार्म को कवर करने के लिए टुकड़ों की गिनती-   50 कम से कम 16x16 मी.
(11) मैदान का कुल क्षेत्र- अधिक से अधिक 14x 14 मी० (98 सैट)
(12) प्रत्येक सैट के टुकड़े का आकार =1x2 मीटर
(13) जूडो खिलाड़ियों को एक-दूसरे से खड़े होने की दूरी- 4 मीटर

खेल सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण जानकारी
(1) जूडो प्रतियोगिता रैफरी के Hajime शब्द कहने से आरम्भ होती है।
(2) खिलाड़ी अंगूठी, कड़ा आदि नहीं पहन सकते और न ही उनके पैरों तथा हाथों के नाखन बढ़ होने चाहिए।
(3) रैफरी के ओसाई कोमी तोकेता' कहने से पकड़ हट जाती है।
(4) यदि कभी जण रैफरी के निर्णय से सहमत न हो तो वह रेफरी को अपना सुझाव दे सकता है। रेफरी ठीक समझे तो वह जज के फैसले को मान सकता है।
(5) जूडो प्रतियोगिता की अवधि 4 मिनट हो सकती है।
(6) जूडो प्रतियोगिता में पेट का दबाना या सिर या गर्दन को सीधा टांगों से दबाना फाऊल है।
(7) जूडो प्रतियोगिता में यदि कोई खिलाड़ी भाग लेने से इन्कार कर देता है उसके विरोधी खिलाड़ी की त्रुटि के कारण (By Fuest sho) विजयी घोषित किया जाता है।
(8) यदि कोई खिलाड़ी मुकाबले में अपने विरोधी खिलाड़ी की गलती से घायल हो जाए तो घायल को विजयी घोषित किया जाता है

क्रीड़ा क्षेत्र (Play Ground)-जूडो के क्रीड़ा क्षेत्र को शिधाजो कहते हैं। यह एक वर्गाकार प्लेटफ़ार्य होता है।
इसकी प्रत्येक भुजा 14 मीटर x 14 मीटर होती है। यह प्लेटफार्म भूमि से कुछ ऊंचाई पर होता है। इसको टाट के 50 टुकड़ों या कैनवस से ढका जाता है। प्रत्येक टुकड़े का आकार 3 इंच x 6 इंच होता है।
अधिकारी (Officials)-जूडो में प्रायः तीन अधिकारी होते हैं। इनमें से एक रैफ़री और दो जज, दो स्कोरर और
टाइम कीपर होते हैं। बाऊट (Bout) को रैफरी आयोजित करता है। उसका निर्णय अन्तिम होता है। इसके विरुद्ध अपील नहीं हो सकती, वह प्रतियोगिता क्षेत्र में रह कर खेल प्रगति का ध्यान रखता है।
पोशाक (Costume)-खिलाड़ी की पोशाक को जूडोगी कहते हैं। जूडोगी में एक जैकेट, पायजामा तथा एक
होती है। जूडोगी न होने की अवस्था में खिलाड़ी ऐसी पोशाक धारण कर सकता है जिसकी पेटी इतनी लम्बी हो कि शरीर के गिर्द दो बार आ सके तथा वर्गाकार गांठ (Knot) लगाने के पश्चात् 3' के सिरे बच जाएं। जैकेट भी इतनी लम्बी हो जिसके साथ पेटी बांधने के पश्चात् भी कूल्हे (Hip) ढके जा सकें। इसके बाजू खुले होने चाहिएं। कफ तथा बाजुओं के मध्य 114 का फासला होना चाहिए तथा ये आधी भुजा तक लटकनी चाहिए। पायजामा भी काफी खुला होना चाहिए। खिलाड़ी अंगूठी, हार, मालाएं आदि नहीं पहन सकते क्योंकि इससे चोट लगने का भय रहता है। खिलाड़ियों के हाथों को अंगुलियों के नाखून कटे होने चाहिएं।
प्रतियोगिता की अवधि (Duration of the Competition)- विशेष दशाओं में इस अवधि में कमी या वृद्धि की जा सकती है।

जूडो प्रतियोगिता का आरम्भ (Starting of Judo Competition)-प्रतियोगीता खिलाड़ी एक-दूसरे से 12 फुट
की दूरी पर खड़े होने चाहिएं। उनके मुंह एक-दूसरे के सामने होने चाहिएं। वे एक-दूसरे को खड़े हो खड़े झुक कर सलाम (Salute) कहते हैं। इसके पश्चात् रैफरी " हाजीमै" (Hajime) शब्द कह कर बाऊट आरम्भ करवा देता है। हाजीमैं का अर्थ है, शुरू करो।

जूडो की विधियां (Judo Techniqes)-जूडो में निम्नलिखित दो विधियां अपनाई जाती हैं(1) नागेबाजा (गिराने की तकनीक) (2) काटनेबाजा (ग्राऊंड वर्क की तकनीक) निर्णय देते समय इन दोनों प्रकार की तकनीकों को ध्यान में रखा जाता है। प्रायः निर्णय एक 'ज्ञप्पन' अंक से अधिक नहीं दिया जाता।
(1) फेंकने की तकनीक में कुछ प्रगति करने के पश्चात् खिलाड़ी बेझिझक लेटने की स्थिति ग्रहण कर सकता है तथा इस प्रकार वह offensive में आ जाता है।
(2) फेंकने की तकनीक अपनाते हुए जब कोई प्रतियोगी पड़ता है या प्रतियोगी offensive ले लेता है तथा जब
विरोधी खिलाड़ी गिर पड़ता है तो भी खिलाड़ी लेटने की स्थिति ले सकता है।
(3) खड़े होने की दशा में ग्राऊंड-वर्क तकनीकी अपनाने के पश्चात् जब खिलाड़ी कुछ प्रगति कर लेता है तो वह भी बिना झिझक लेटवीं स्थिति ग्रहण करके Offensive पर आ सकता है।
(4) जब एक या दोनों खिलाड़ी प्रतियोगिता क्षेत्र से बाहर हों तो कोई भी प्रयोग की गई तकनीक निष्फल एवं अवैध
घोषित की जाती है।
(5) फैंकने की तकनीक उसी समय पर वैध होती है जब तक फैंकने वाले तथा उसके विरोधी का अधिक-से-अधिक शरीर प्रतियोगिता क्षेत्र में रहता है।
(6) खिलाड़ियों के प्रतियोगिता के क्षेत्र से बाहर चले जाने पर और पकड़ लिए जाने पर रैफ़री 'सोनोमाना' शब्द
कहता है। सोनोमाना का अर्थ है 'ठहर जाओ'। रैफरी उन्हें खींच कर प्रतियोगिता क्षेत्र में ले आता है, उनकी स्थिति
लगभग वही रहती है, खेल पुनः आरम्भ करने के लिए रैफरी योशी कहता है, सोनोमाना और योशी के बीच का समय काट लिया जाता है।
(7) किसी खिलाड़ी के फैंकने या ग्राऊंड-वर्क की तकनीक में सफल होने पर इसे 'इमन' (एक प्वांइट) दिया जाता है और मुकाबला बन्द कर दिया जाता है। रैफरी विजेता का हाथ ऊंचा उठा कर निर्णय देता है।
(8) जब प्वाइंट बनता दिखाई देता है तो रैफरी "वाजानरी" शब्द का उच्चारण करता है, यदि फिर वही खिलाड़ी
'वाजाजरी' प्राप्त कर ले तो रेफ़री 'वाजाअरी' आवासेत इप्पन (अर्थात् एक प्वाइंट दो तकनीकों से) कहता है और उस खिलाड़ी को विजयी घोषित कर दिया जाता है।
(9) जब रैफरी 'ओसाइकोमी' अर्थात् पकड़ की घोषणा करता है और पकड़ घट जाती है, तो वह 'ओसादलोमी
तोकेता' शब्द का उच्चारण करता है। इसका अर्थ है कि पकड़ टूट गई है।
(10) यदि जज रैफरी से निर्णय के असहमत हो तो वह रैफरी को अपना सुझाव भेज सकता है। रेफरी यदि उचित सम्म तो जज के सुझाव को स्वीकार कर सकता है परन्तु रैफ़री का निर्णय अन्तिम होता है।
(11) जब कोई मुकाबला अनिर्णीत रह जाए और समय समाप्त हो जाए तो रैफरी कहता है SOREMADE इसका
अर्थ है 'बस'।
(12) मुकाबला समाप्त होने पर दोनों जजों का निर्णय लिया जाता है। रैफरी दोनों जजों के बहु-समर्थन से अपना निर्णय घोषित करता है, वह Yuseigachi (विजय श्रेष्ठता के कारण) या Hikiwake (बराबर) कहता है।
(13) मैच के अन्त में दोनों खिलाड़ी अपनी पहली स्थिति ग्रहण कर लेते हैं तथा रेफरी द्वारा विहसल बजाने पर एकदूसरे की ओर मुंह करके खड़े हो जाते हैं

कुछ अनुचित कार्य (Some Donts)
(1) पेट को भींचना या सिर या गर्दन को टांगों के बीच लेकर मरोड़ना 'Do jime' |
(2) Kasetsue Waza तकनीक से जोड़ों के ऊपर कुहनी के अतिरिक्त उतारना।
(3) कोई निश्चित तकनीक अपनाए बिना विरोधी खिलाड़ी को लेटबी स्थिति में धकेलना।
(4) जिस टांग पर आक्रामक खिलाड़ी खड़ा है उसे कैंची मारना।
(5) जो खिलाड़ी पीठ के बल लेटा हो उसे उठा कर मैट पर फैंकना।
(6) विरोधी खिलाड़ी की टांग को खड़े होने की स्थिति में खींचना ताकि लेटबों स्थिति में हो सके।
(7) विरोधी खिलाड़ी की कमीत के बाजुओं या पायजामे में अंगुलियां डाल कर उन्हें पकड़ना।
(8) पीछे से चिपके हुए विरोधी खिलाड़ी पर जानबूझ कर पीछे की ओर गिरना।
(9) लेटे हुए खिलाड़ी द्वारा खड़े खिलाड़ी की गर्दन पर कैंची मारना, पीठ तथा बंगालों को मरोड़ना या फिर जोड़ों को लॉक लगाने वाली तकनीकी Kansetsuewaza अपनाना।
(10) कोई ऐसा कार्य करना जिससे विरोधी खिलाड़ी को हानि पुहंचे या भय का कारण बने।
(11) जानबूझ कर स्पर्श या पकड़ से बचने की चेष्टा करना, यदि कोई काम सिरे न चढ़ सके।
(12) पराजित होते समय सुरक्षा का आसन (Posture) धारण करना।
(13) विरोधी के मुंह की ओर हाथ या पैर सीधे रूप से बढ़ाना।
(14) ऐसी पकड़ बा लॉक लगाना जिससे विरोधी खिलाड़ी की रीढ़ की हड्डी के लिए संकट पैदा हो जाए।
(15) जानबूझ कर प्रतियोगिता क्षेत्र से बाहर निकलना या अकारण ही बिरोधी को बाहर की ओर धकेलना।
(16) रेफरी की अनुमति के बिना बैल्ट या जैकेट के बाजू पकड़ना।
(17) विरोधी खिलाड़ी की बैल्ट या जैकेट के बाजू पकड़ना।
(18) अनावश्यक इशारे करने, आवाजें करना या चीखना।
(19) ऐसे ढंग से खेलना जिससे जूडो खेल की समूची आत्मा को ठोस पहुंचे।
(20) निरन्तर काफी समय तक अंगुलियां फंसा कर खड़े रहना।

विशेष निणर्य (Specisal Decisions)-
(1) जब कोई खिलाड़ी प्रतियोगिता में भाग लेने से इन्कार कर दता है तो  खिलाड़ी विरोधी खिलाड़ी को Fusen Sho (Win by Default) अर्थात् त्रुटि के कारण विजयी माना जाता है
(2) जब कोई खिलाड़ी रैफरी चेतावनी का बार-बार उल्लंघन करता है अथवा चेतावनी के पश्चात् भी वाजत काय का बार-बार करता है उसे Honsakumake अर्थात् नियम उल्लंघन के कारण पराजित माना जाता है।
(3) घायल होने को अवस्था में यदि कोई खिलाडी प्रतियोगिता में भाग लेने में समर्थ नहीं रहता तो निर्णय इस प्रकार दिया जाता है-
(क) यदि कोई खिलाड़ी विरोधी खिलाड़ी की गलती के कारण घायल हुआ है तो घायल खिलाड़ी को विजय घाषित किया जाता है।
(ख) यदि कोई अपनी ही गलती से घायल हुआ तो विरोधी खिलाड़ी को विजयी घोषित किया जाता है।

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