हॉकी
НОСКEY
हॉकी का इतिहास बताएं।
(History of Hockey.)
हॉकी ऐसा खेल है जिसका न तो नाम और जन्म स्थान है और न ही जन्मदिन। कोई नहीं जानता कि पहले-पहले हॉकी कब और कहाँ खेली गई। इस बात का प्रमाण है कि पुराने समय में पेड़ से तराशी गई स्टिक के साथ बॉल का पीछा करना बहुत प्रिय था। पशिया लोगों से यह खेल यूनानी लोगों ने लिया और रोमन लोगों तक पहुंचा दिया। यह भी पता चला है कि अमेरिका के रैड- इंडियन हज़ारों साल तक हॉकी की किस्म का एक दमदार खेल खेलते रहे थे । किसी भी गोल चीज़ को स्टिक से मारने या हिट करने का बहुत आकर्षण रहा है। आखिर क्रिकेट और गोल्फ इस सिद्धान्त के दो तीन रूप हैं। आज जिस हॉकी को हम देखते और खेलते हैं। यह पर्शियनों, यूनानियों, रोमनों और अमेरिक इंडियनों की हॉकी से बहुत भिन्न है। हालांकि इंग्लैण्ड में हॉकी का खेल बहुत बाद में शुरू हुआ फिर भी आधुनिक हॉका की पहल वहां से हुई थी। इंग्लैंड के कैटंबरी धम पीट में एक 600 साल पुराना गवाकस चित्र (विंडो-पेंटिंग) है जिसमें एक लड़के को टेढ़ी लकड़ी से बॉल को हिट करते दिखाया गया। 1800 के 70 वें दशक में आधुनिक हॉकी को प्रचारित करना
वाला लन्दन पहला शहर था। परन्तु शीघ्र ही यह खेल मध्यवर्ती पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्रों में फैल गाया और 1886 में इग्लेड के हॉकी संघ का जन्म हुआ। आज भी यह संस्था इंग्लैंड में हॉकी की नियंत्रण संस्था है।
सन् 1990 के आस-पास हॉकी नियमों के संयोजन और संशोधन के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय समिति का निर्माण किया गया। 1902 में इसकी संख्या में 2 सदस्यों की वृद्धि हुई। इन दिनों में यह समिति ब्रिटिश समिति के नाम से जानी जाती है। 20 वी सदी का आरम्भ हॉकी के इतिहास में एक नये युग का परिचायक है तब यह खेल सारे यूरोप में बहुत है लाकिप्रिय हो चुका था और इस महाद्वीप के लगभग हर देश का एक स्वतंत्र हॉकी संघ होता था । फ्रांस, जर्मनी, हॉलेंड आर डेनमार्क ने मिलकर अंतर्राष्ट्रीय हॉकी संघ की स्थापना की। जिसका मुख्य काम पहले वियाना में था । पर बाद में पेरिस नें उखा गया जिसके साथ ब्रिटिश हॉकी बोर्ड के नाम से इंग्लैण्ड, स्कार्टलैंड और बेलस भी सम्बन्ध थे। यह अंतर्राष्ट्रीय हॉकी के अंतराष्ट्रीय मैचों के नियमों का निर्माण करने के अलावा अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खेल का नियंत्रण करता था।.औरिवम्पिक खेलों में हॉकी प्रतियोगिता का नियंत्रण और संचालन इस अंत्राष्ट्रीय हॉकी संघ की शुरुआत हुई। 1909 के आस-पास अंतर्राष्ट्रीय हॉकी समिति का गठन किया गया जिसमें ब्रिटिश प्रतिनिधियों का महत्त्वपूर्ण स्थान रहे है। जैसे-जैसे यह खेल भारत में फैलता गया, इसके लिए एक नियंत्रण संस्था की ज़रूरत अनुभव की जाने लगी। 7 नवम्बर,
1925 को ग्वालियर में भारतीय हॉकी संघ की उद्घाटन सभा हुई, जिसमें आर्मी स्पोट्ट्स कंट्रोल बोर्ड, बंगाल, ग्वालियर, पंजाब, राजपूताना, सिंध और पश्चिम भारत के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और यह फैसला किया गया कि जब तक भारतीय हॉकी संघ एक प्राणवान संस्था न बन जाये इसका मुख्य कार्यालय ग्वालियर में ही रहे।
हॉकी के नये सामान्य नियम
(Latest General Rules of Hockey)
1. हाँकी का खेल दो टीमों के बीच खेला जाता है। प्रत्येक टीम में 11-11 खिलाड़ी होते हैं। खेल के दौरान किसी भी
में एक से ज्यादा गोल रक्षक न होगा।
2. मैच के दौरान हरेक टीम ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी बदल सकती है।
3. एक बार बदला हुआ खिलाड़ी पुनः खेल में भाग ले सकता है। निलंबित किए खिलाड़ी के स्थान पर कोई दूसरा खिलाड़ी नहीं खेल सकता।
4. कार्नर दंड या पैनल्टी दंड दिये जाने के अतिरिक्त जब खेल रुका हो तो स्थानान्तरण होता है खिलाड़ी रैफरी की आज्ञा से मैदान में आ सकता है।
5. अगर परिणाम निकालने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाये तो दूसरा खिलाड़ी भी (Subsitute) हो सकता है।
6. खेल 35-35 मिनट की दो अवधियों के लिए होता है। पहली अवधि के बीच ही कम से कम 5 मिनट और ज्यादा से ज्यादा 10 मिनट का आराम होता है।
7. गेंद (Ball)- गेंद सफेद रंग के चमड़े की होती है। इसका भार 5% औंस या (163 ग्रा.) हो सकता है। बाल
की परिधि 23 सैं.मी. से ज्यादा और 22.4 सैं.मी. से कम नहीं होनी चाहिए ।
8. खेल का आरम्भ- वह टीम जिसे गेम शुरू करने का अवसर मिलता है। वह टीम मध्य के साथ बैग पास से मैच का आरम्भ करती है।
9. फ्री हिट- फ्री हिट लेते समय बॉल स्थिर अवस्था में होनी चाहिए। इसे मैदान के हिट या पुश किया जा सकता है।
10. स्कोरिंग- जब बॉल स्ट्रालिकिंग सर्कल या शूटिंग सर्कल के अन्दर से आकर्षणकारी टीम के खिलाड़ी की स्टिक हिट या डिफलैक्ट होकर, क्रॉस बार के नीचे से गोल पोस्टर के अन्दर गोल रेखा को पूर्णतया पार कर जाती है, तो गोल स्कोर हो जाता है।
हॉकी के मैदान और संबंधित खेल उपकरणों का विशिष्ट वर्णन
माप पर एक दृष्टि
(Measurement at a Glance)
1. हॉकी टीम के खिलाड़ियों की संख्या- 11+5 अतिरिक्त
2. हॉकी के मैदान की लम्बाई- 100 गज़ या 91.40 मीटर
3. हॉकी के मैदान की चौड़ाई- 60 गज़ या 55.0 मीटर
4. हॉकी खेल का समय- 15-2-15 (10 मिनट) 15-12-15 की चार अवधियाँ ओलिम्पिक
5. अन्तराल का समय- 10 मिनट
6. गेंद का वजन- 156 ग्राम से 163 ग्राम
7. गेंद की परिधि- 224 से 235 मिमी०
8. हॉकी स्टिक का वज़न- अधिकतम 737 ग्राम
नर्माण किया
9. गोल पोस्ट की गहराई- 1.20 मीटर
10. गोल के खम्भे की चौड़ाई- 3.66 मीटर
11. गोल के खम्भे की ऊंचाई- 2.14 मीटर
12.एड लाइ से 'डी' की दूरी- 14.63 मीटर (16 गज)
13. पैनन्टी स्टोक की दूरी- 6.40 मीटर
महत्त्वपूर्ण टूर्नामेंट्स व स्थान
टूर्नामेंट्स (Tournaments)
1. विश्व कप
2. चैम्पियन ट्रॉफी
3. रंगास्वामी कप (महिला)
4. इंदिरा गोल्ड कप
5. आलप्स कप
6. फैडरेशन कप (महिला)
7. एशिया कप
৪. बेटन कप (Beighton Cup)
9. ध्यानचन्द ट्राफी
10. आगा खाँ कप
11. अजलान शाह कंप
12. लेडी रतन टाटा कप (महिला)
13. सिनिधिया गोल्ड कप
14. मोदी गोल्ड कप
15. बॉम्बे गोल्ड कप
16. विलिंग्टन कप
17. एम० सी० सी० कप
18. जूनियर नेहरू हॉकी ट्रॉफी
19. हीरो होंडा कप
20. के० डी० सिंह बाबू स्मारक ट्रॉफी
21. प्रधानमंत्री गोल्ड कप
22. समारांच हॉकी कप
23. जूनियर विश्व कप हॉकी
24. यूरोपियन चैम्पियनशिप
स्थान (Venues)
1 नेशनल स्टेडियम, नई दिल्ली।
2. शिवाजी स्टेडियम, नई दिल्ली।
3. राष्ट्रीय खेल संस्थान, पटियाला।
4. स्पोट्र्स कॉलेज, बंगलूरू।
5. स्पोट्र्स कॉलेज, कोलकाता।
6. स्पोर्ट्स कॉलेज, गांधीनगर।
7. ध्यानचन्द स्टेडियम, लखनऊ।
8. रेलवे स्टेडियम, अमृतसर ।
9. रेलवे स्टेडियम, पिम्परी।
10. रेलवे स्टेडियम, मुम्बई।
11. रेलवे स्टेडियम, रॉची ।
12. रेलवे स्टेडियम, चंडीगढ़
|13. रेलवे स्टेडियम, ग्वालियर।
हॉकी के मूल कौशल
(Fundamental skills of Hockey)
1. हॉकी को पकड़ना (Holding of Stick)
2. स्ट्रोक (Stroke)
(क) पुश (Push)
(ख) फ्लिक (Flick)
(i) सीधी फ्लिक (Straight Flick)
(ii) उल्टी फ्लिक (Reverse Flick)
(iii) गलत पैर और फ्लिक (Flick or the wrong foot)
(ग) स्कूप (Scoop)
3. बॉल को रोकना (Stopping the Ball)
4. ड्रिबलिंग (Dribbling)
5. टैकलिंग (Tackling)
(क) सामने से टैकल (Front Tacle)
(ख) साइड टैकल (Side Tackle
(ग) गलत साइड टैकल (WrongSide Tackle)
6. पासिंग और इंटर पासिंग (Passng and Inter Passing)
7. कार्नर (Corner)
8. पैनल्टी कार्नर (Penalty Correr)
9. पुश इन (Push In)
10. पैनल्टी स्ट्रोक (Penalty Stoke)
11. गोल कीपिंग (Goal Keeping)
12. शूटिंग (Shooting)
13. डॉजिंग (Dodging)
14. हिटिंग (Hitting)
(क) रिवर्स हिटिंग (Reverse Hitting)
HOCKEY
(ख) गलत पैर पर हिटिंग (Hitting on the wronge foot)
कुछ मूल कौशलों के नाम नीचे लिखे हैं-
1. हॉकी स्टिक को पकड़ना (Holding of Hockey Stick)
2. स्थिर बॉल को हिट लगाना (Hitting Stationary Ball)
3. गति वाली बॉल को हिट लगाना (Hitting a moving Ball)
4. लंज स्ट्रोक (Lunge Stroke)
5. ड्रिबलिंग (Dribbling)
6. पुश पास (Push Pass)
हॉकी की तकनीक
हॉकी खेल के कुछ महत्त्वपूर्ण तकनीक
जल्दी से जल्दी पूरे स्तर के मैचों में खेलने के इच्छुक खिलाड़ी, जब तक हॉकी के प्रमुख स्ट्रोकों की जानकारी प्राप्त न कर लें, तब तक खेल का सच्चा आनन्द प्राप्त करना असम्भव है । यदि नौसिखिए खिलाड़ी मैच में खेलने से पहले गेंद को मैदान में आसानी से लुढ़काने लायक हॉकी का प्रयोग करना सीख लें तो वह अच्छी शुरुआत रहेगी। विभिन्न स्ट्रोकों को खेलते समय सिर, पैर और हाथों की क्या स्थिति हो इस विषय में कोई सुनिश्चित नियम नहीं है। यद्यपि सरलता से स्ट्रोक लगाने में खिलाड़ी के फुट वर्क (Foot work) का बहुत महत्त्व होता है। सबसे पहले तो खिलाड़ी को स्टिक पकड़ने का सही तरीका मालूम होना चाहिए। स्ट्रोक लगाने के दूसरे सिद्धान्त व्यक्तिगत अथवा छोटे-छोटे ग्रुपों
में अभ्यास करने से अपने आप आ जाते हैं। पूर्ण सफलता के लिए यह आवश्यक है कि सभी अभ्यास तब तक धीमी गति से किए जाएं जब तक खिलाड़ी उनकी सही कला न सीख ले। फिर धीरे-धीरे उसे अपनी गति बढ़ानी चाहिए। प्रमुख स्ट्रोक निम्नलिखित हैं-
पुश स्ट्रोक कलाई की सहायता से लगाया जाता है जिसमें बायां हाथ तो हैंडल के ऊपरी सिरे पर और दायां हाथ स्टिक के बीचों-बीच रहता है तथा बाजू और कन्धे इसके ठीक पीछे रहने चाहिएं। गेंद को ज़मीन के साथ-साथ धकेल देना चाहिए। यह स्ट्रोक छोटे और सुनिश्चित 'पास' के लिए लगाया जाता है और यह बहुत ही रचनात्मक महत्त्व का होता है।
फ्लिक (Flick)- फ्लिक स्ट्रोक में दोनों हाथ स्टिक पर साथ-साथ रहते हैं और यह स्ट्रोक ढीली कलाइयों से लगाया जाता है। फ्लिक करते समय स्टिक गेंद के एकदम साथ रहनी चाहिए। यह स्ट्रोक को पीछे की ओर उठाए बिना ही लगाया जाता हैं। साधारणतया यह स्ट्रोक लुढ़कती हुई गेंद को जल्दी निकासी के लिए हिट की अपेक्षा लगाया जाता है। रिवर्स फ्लिक में गेंद को दायीं ओर लाने के लिए रिवर्स स्टिक का प्रयोग किया जाता है। प्रतिपक्षी को चकमा देने का यह बहत ही सूझ-बूझ वाला
तरीका है और जब खिलाड़ी इस कला में फर्रोट हो जाता है, तो यह स्ट्रोक बहुा ही दर्शनीय होता है। एक जमाना था जब भरतीय खिलाड़ी यूरोपियन टीमों के साथ खेलते हुए "स्कूप' का बहुत प्रयोग फरते हुए उन्हें नाजवाब कर देते थे लेकिन नई दिल्ली में खेले गए एक टेस्ट-मैच में यह देखा गया कि सधे हुए 'फ्लिक स्ट्रोक' का प्रयोग करके प्रतिपक्षी जर्मन खिलाडी भारतीय खिलाड़ियों के सिर पर गेंद उछाल कर अक्सर भारतीय क्षेत्रया यूं कहिए कि भारतीय रक्षा-पंक्ति में घसपैठ करने में सफल हो जाते थे। आश्चर्य को बात है कि इस प्रकार गेंद 30 ग्ज़ और इससे भी ज्यादा अन्दर तक फेका राई। परिणाम यह होता था कि हमारी रक्षा पंक्ति को वहा तुरन्त पहुंचने और बचिव करने का अवसर ही नहीं मिलता था। अधिका शक्तिशाली फ्लिक स्ट्रोक लगाने के लिए आवश्यक है कि स्टिक वो पकड़ बंटी हुई हो यानी दाएं हाथ का ड्राइव (I यह एक आवश्यक है। अधिक शीघ्र हिट करते स्म चाहिए, क्यों लंज ( यह स्ट्रो घुटने मुड़े हु स्ट्रोक का प्र द्वारा अतिरि-
भकड़े बाएँ हाथ की पकड़ से अलग स्टिक पर थोड़ी नीचे की ओर रहनी चाहिए। छोटी दूरी के लिए फ्लिक स्ट्रोक लगाने के लिए सिद्धान्त में यह कुछ भिन्न है । हमारे खिलाड़ियों को इस कला में पागत होना चाहिए. क्योंकि 'खिलाड़ा से जैब खिलाड़ी को' वाली आधुनिक नीति का एक यही सर्वोत्तम जवाब है।
यह एक आकर्षक तथा सबसे लाभकारी स्ट्रोक है, परन्तु इसके लिए आवश्यकता है अभ्यास और पुष्ट कलाइयों की। कलाइयों को पुष्ट बनाने के लिए निम्नलिखित अभ्यास किए जाने चाहिए-
1. स्टिक के ऊपरी हिस्से को बाएं हाथ से पकड़ें और इसके पास ही दाएं हाथ से, स्टिक को थोड़ा पलट कर गेंद दायीं ओर धकेल दें। स्ट्रोक के प्रारम्भ में शरीर के वज़न का दबाव बाएं पैर पर पड़ता है, दायां कन्धा घूम जाता है और इसके साथ ही कलाई के झटके के साथ स्ट्रोक लगता है। इस स्ट्रोक को अभ्यास में लाने के लिए गेंद को घेरे के आकार में रिवर्स से लुढ़काएं।
2, गेंद उस प्रकार आगे बढ़ाएं, परन्तु उसी स्थिति में रहते हुए और स्टिक को सिर्फ बाएं हाथ से पकड़ कर। य दी
यास बहुत आवश्यक है, विशेषकर उन भारतीय खिलाड़ियों के लिए जो 'लेफ्ट फ्लिक' या 'पुश' में बिल्कुल ही अनाड़ी इससे उनके बाएं हाथ को वह शोक्ति भी प्राप्त होगी, जो फ्लिक स्ट्रोक के लिए आवश्यक है। यह स्ट्रोक गेंद की तजति प्रदान करने की दृष्टि से भी और गेंद की शीघ्र निकासी के लिए भी उपयोगी है। इस स्ट्रोक के द्वारा खिलाड़ी अपने पास क दिशा तो छिपाता ही है, साथ की बाएं हाथ की भिड़न्त के लिए आवश्यक शक्ति भी प्राप्त करता है।
स्कूप (Scoop)
यह स्ट्रोक जानबूझ कर गेंद उछालने के लिए लगाया जाता है। स्टिक तिरछी झुकी हुई, ज़मीन से कुछ ऊपर गेंद के पीछे रहती है और स्टिक पर खिलाड़ी की पकड़ में दोनों हाथ एक-दूसरे से काफ़ी दूर रहते हैं। गेंद के ज़मीन पर गिरते समय तथा यह स्ट्रोक लगाते समय खेल में किसी प्रकार का जोखिम पैदा हो जाए तो इसे नियम भंग की कार्यवाही मानना चाहिए। हालांकि एक लैफ्ट विंगर के लिए प्रतिपक्षी खिलाड़ी को उसकी स्टिक पर से गेंद उछालकर उसे चकमा देने की दृष्टि से यह स्ट्रोक बहुत ही लाभकारी है, परन्तु इसका प्रयोग कभी-कभी ही करना चाहिए। भारी तथा कीचड़ वाले मैदान पर यह स्ट्रोक बहुत उपयोगी रहती है।
ड्राइव (Drive)
यह एक गलत धारणा है कि गेंद को जोर से हिट करने के लिए स्टिक को किसी भी तरफ कन्धे से ऊपर से ले जाना
आवश्यक है। सच तो यह है कि हॉकी को पीछे की तरफ थोड़ा-सा उठाकर हिट करने से गेंद अपने लक्ष्य तक अपेक्षाकृत अधिक शीघ्रता से पहुंच सकती है। हिट की गति और शक्ति खिलाड़ी के फुट वर्क (Foot work) समयानुपात तथा गेंद को हिट करते समय कलाइयों से मिली ताकत पर निर्भर करती है। खिलाड़ी को काटदार या नीचे से प्रहार करने से बचना चाहिए, क्योंकि ये स्ट्रोक नियम विरुद्ध होते हैं।
लंज (Lunge)
यह स्ट्रोक लगाते समय खिलाड़ी के एक हाथ में स्टिक, बाजू पूरी खिरची हुई तथा एक पैर पर शरीर टिका हआ
धुटन मुड़े हुए होते हैं । जब प्रतिपक्षी खिलाड़ी भिड़न्त की सीमा से दूर हो तो गेंद को उसकी स्टिक से बचाने के लिए इस ड्रकि का प्रयोग किया जाता है। फारवर्ड खिलाड़ी गेंद को साइड लाइन तथा गोल लाइन से बाहर जाने वाली गेंद को स्टोक द्वारा अतिरिक्त पहुंच की सहायता से रोक सकते हैं।
जैब (Jab)
यह एक और एक हत्था स्टोक है। इसे दाएं हाथ से भी लगाया जा सकता है और बाएं से भी। इस स्टरोक का उपयोग द को धकियाने के लिए किया जाता है। गेंद धकियाने की यह ऐसी गतिशील फारवर्ड कार्यवाही है, जिसमें खिलाडी ने हाथ से स्टिक पकड़ी हुई होती है और उसकी बाजू पूरी तरह आगे तक बढ़ी हुई रहती है। जब दो विपक्षी खिलाडी गेंट हाथयान के उद्देश्य से आगे बढ़ रहे हों, तो इससे पहले कि उनमें से कोई गेंद हथियाए, गेंद को उनकी पहुंच धकैलने के लिए यह स्ट्रोक प्रयोग में लाया जाता है।
जैब तथा लंज के अभ्यास के लिए
( क) स्टिक को एक हाथ से पकड और बाज परी तरह आगे बढ़ा कर खिलाड़ी को "शापे जैब' का अभ्यास करना
चाहिए।
(ख) 1. स्टिक बाएं हाथ से पकड़ कर, बाजू पूरी तरह आगे तक बढ़ाकर खिलाड़ी को रिवसे स्ट्रोक खेलने का अभ्यास करना चाहिए, इससे बाईं कलाई में मज़बूती आएगी।
2. गेंद को अपने बीच में रख कर दो खिलाडी खडे हो जाएं। फिर गेंद को खेलने के लिए तेज़ी से दौड़ पड़ें। दोनों ही खिलाड़ियों को एक-दूसरे से पहले गेंद को दाएं हाथ से जैब करने और इसके बाद बाएं हाथ से लंज करने का प्रयत्न करना चाहिए।
कर देता तो प्र
2. इन दोनों एक हत्थे स्ट्रोकों का नियमित अभ्यास आवश्यक है। जब दोनों हाथों से खेलना या स्ट्रोक लगाना असम्भव हो, तभी इन स्ट्रोकों का प्रयोग करना चाहिए। दूसरे शब्दों में, जब खिलाड़ी को गेंद खेलने के लिए अपेक्षाकृत अधिक पहुंच की ज़रूरत हो, तब ये स्ट्रोक बहुत ही उपयोगी होते हैं।
ड्रिबल (Dribble)
ड्रिबलिंग की कला हॉकी में बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। एक खिलाड़ी तब तक पूरा खिलाड़ी नहीं हो सकता, जब तक कि वह इसमें प्रवीणता न प्राप्त कर ले। अगर अपने सहयोगी खिलाड़ी की तरफ गेंद हिट या पुश कर देने से काम चल सकता हो, तो जहां तक हो सके ड्रिबलिंग नहीं करनी चाहिए। कीचड़दार, उछाल या उबड़-खाबड़ मैदानों पर खिलाड़ियों को ड्रिबलिंग नहीं करनी चाहिए। ड्रिबलिंग का मुख्य उद्देश्य कब्ज़े में आई गेंद को पहले बाएं, फिर दाएं- इसी सिलसिले से लेकर खिलाड़ी को. अधिक-से-अधिक तेज़ी से भागना होता है। ड्रिबलिंग करते समय खिलाड़ी को स्टिक इस तरह पकड़नी चाहिए कि उसके बाएं हाथ की पकड़ तो सामान्यत: स्टिक के हैंडल के ऊपर की तरफ रहे और उसके दाएं हाथ
की पकड़ बाएं से तीन-चार इंच नीचे रहे। गेंद खिलाड़ी से लगभग एक गज़ की दूरी पर रहनी चाहिए। ड्रिबलिंग करते समय स्टिक गेंद से काफ़ी निकट होनी चाहिए।
गेंद रोकना (Fielding the ball)
अनुभव बताता है कि एक गेंद को स्टिक से रोकना सबसे आसान और फुर्तीला कार्य है। इसलिए गेंद रोकने के लिए
हाथों का प्रयोग कभी-कभार ही होता है। पैनल्टी का्नर के लिए पुश लेते समय या जब गेंद हवा में खिलाड़ी की कमर से ऊपर हो, तब सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए गेंद को हाथ से रोकना आवश्यक है। अगर गेंद हाथ
तो उसे तुरन्त छोड़ देना चाहिए। गेंद रोकते समय खिलाड़ी स्टिक को इस तरह ढीला पकड़े कि उसका बायां हाथ हैंडल पर ऊपर रहे और स्टिक के ठीक
बीचों-बीच उसका दायां हाथ गेंद को इधर-उधर लुढ़कने से बचाने के लिए, उसके गेंद से टकराने से पहले ही हाथों को्थो ड़ा दोला छोड़ देना चाहिए। आड़ी स्टिक से गेंद अच्छी तरह रोकी जाती है। जন कोई विपक्षी फारवर्ड खिलाड़ी गेंद के पीछे भाग रहा हो, तब गेंद रोकने का संबसे आसान और सुरक्षित तरीका यह (है कि लाडी अपने शरीर और स्टिक को गेंद के समानान्तर ले आए। अगर उसके पास समय और गुंजाइश हो तो अपना दायीं ओरगेंद रोकने का प्रयत्न करना चाहिए। इस प्रकार वह गेद को आसानी से हिट कर सकेगा
गेंद रोकने और हिट करने का अभ्यास
मान लीजिए कि दो खिलाड़ी 'क' और 'ख' एक-दूसरे से 20 गज़ के अन्तर पर खड़े हैं। मध्य रेखा इन दोनों के बाद का केन्द्र है। 'क' खिलाड़ी 'ख' खिलाड़ी की तरफ गेंद हिट करता है। 'ख' उसे रोक कर वापस 'क' को लौटा देता है- दोनों का उद्देश्य एक-दूसरे पर गोल ठोकना है। अगर गेंद विपक्षी खिलाड़ी की गोल रेखा को पार कर जाता है. तो गोल माना जाता है। अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए खिलाड़ी को ठीक से गेंद रोकने और तुरन्त वापस हिट कर हेनी होती है। अगर खिलाड़ी के पास कमज़ोर हिट आती है, तो वह विपक्षी खिलाड़ी के क्षेत्र में घुस
कर बच रहे दस गज़ के दौरान में एक फु्तीली हिट लगा कर उसे गलत स्थिति में पकड़ने का प्रयत्न करेगा।
नियम-
1. अगर खिलाड़ी-गेंद को साइड लाइन या उसके समानान्तर खिंची दस गज़ की रेखा के पार हिट
कर देता तो प्रतिपक्षी खिलाड़ी गेंद के रेखा पार करने की जगह पर कहीं से भी हिट ले सकता है।
2. अगर कोई खिलाड़ी गेंद रोकने के प्रयत् में गेंद को रेखा के पार लुढ़का देता है, तो प्रतिपक्षी
खिलाड़ी उस स्थान से हिट ले सकता है, जहां से गेंद लुढ़की थी।
इस अभ्यास का उद्देश्य खिलाड़ी की गेंद रोकने और हिट करने की कला को सुधारना है। अत: इस अभ्यास से सर्वोत्तम लाभ उठाने के लिए खिलाड़ियों को विपक्षी खिलाड़ियों के क्षेत्र में फुर्ती से घुसपैठ करने और तुरन्त वापसी के अवसरों की तलाश में रहना चाहिए।
दौड़ते हुए गेंद रोकने का अभ्यास
यह अभ्यास गोल लाइन की अपेक्षा साइड लाइन की दिशा में 25 गज़ के क्षेत्र के अन्दर रह कर ही करना चाहिए। दोनों ही खिलाड़ियों को एक-दूसरे को गलत स्थिति में पकड़नेके लिए गेंद को प्रतिपक्षी खिलाड़ी के दाएं या बाएं कुछ दूरी से गुज़रती हुई हिट मारनी चाहिए। पहुंच से बाहर जा रही गेंद को बाएं और दाएं हाथ के लंज से कैसे रोका जाए खिलाड़ी के सीखने की यह मुख्य बात है।
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