बैडमिन्टन
(BADMINTON)
बैडमिन्टन खेल का इतिहास
उत्पत्ति (Origin)-बैडमिन्टन खेल की उत्पत्ति कुछ धुंधली-सी है। यह कहा जाता है कि पहले पहले इसे चीन में एक लकड़ी के पैडल एवं एक गेंद के साथ खेला जाता था। 12वीं शताब्दी में इसका रिकार्ड इंग्लैण्ड में भी मिलता है। पोलैंड के शाही परिवार के सदस्य भी इसे खेलते रहे हैं। इसका रिकार्ड 17वीं शताब्दी के अन्त में और 18वीं शताब्दी के आरम्भ में मिलता है। भारत में सबसे पहले इसे पुणे में 1870 में खेला गया। यह स्पष्ट रूप से स्थापित नहीं हुई। अंग्रेजी आर्मी ऑफिसर इस खेल को भारत ले आया अथवा इसे इंग्लैण्ड ले गया। भारत से यह निश्चित रूप से जाना जाता है कि 'Badminton' नाम "Town of BADMINTON' से लिया गया है जो Duke of Beaufort का घर है। इस खेल पर लिखी प्रारम्भिक पुस्तक 1911 तक प्रकाशित नहीं हुई थी। H87 में इस खेल के मूल नियम कराची में बनाए गए एवं 1887 एवं 1890 में दोबारा दोहराए गए। आई० बी० एफ० (I.B.F.) के वर्तमान नियम 1890 में ड्राफ्टों से थोड़े-से ही भिन्न हैं। 1901 से पहले जब कोर्ट की Dimension एवं आकार अपनाए गए तो चाहे वो विभिन्न होती थी, फिर भी वो hourglass के आकार की थी। आकार Duke of Beaufort के कमरे के पीछे आकर चित्रित किया जा सकता है जहाँ यह बैडमिन्टन खेला जाता है।
यह कैसे विकसित होती है अथवा खेल का विकास
(How it Developed or Development of Game)
युरोप अथवा इंग्लैण्ड में विकास
सन 1893 में “The Badminton Association of England" (B.A.of E) बनाई गई।
(4) बैडमिन्टन खेल 21 अंक का होता है।
(5) सर्विस तब तक नहीं की जा सकती जब तक विरोधी खिलाड़ी पूरी तरह तैयार न हो।
(6) सिंगल्त खेल में एक प्वाइंट हो जाने पर दोनों खिलाड़ी आधी कोर्ट बदल लेंगे।
(7) बैडमिन्टन खेल का समय नहीं होता बल्कि इसमें वैस्ट श्री गेम्त होती हैं। जो टीम तीन में से दो गेमें जीत जाती है उसे विजयी घोषित किया जाता
(8) खेल में हिसल का प्रयोग नहीं किया जाता।
(9) इस खेल को प्राय: Indoor Stadium में ही खेला जाता है।
बैडमिन्टन में दो प्रकार की खेलें होती हैं-सिंगल्त और डबल्स। इन दोनों खेलों के लिए बैडमिन्टन कोर्ट के नाप को चित्र में दिखाई गई 19" (4 सम) मोटी सफेद या लाल रेखाओं से स्पष्ट किया जाएगा। डबल्त के लिए कोर्ट का आकार 44 फुट x 20 फुट तथा सिंगल्स के लिए 44 फुट x 17 फुट होगा। नैट के दोनों ओर 6 फुट शर्ट सर्विस रेखा खींची जाएगी। कोर्ट को दो समान भागों में बांटने के लिए साइड लाइन के समानान्तर एक रेखा खींची जाएगी। कोर्ट का बायां आधा भाग बाई सर्विस कोर्ट तथा दायां आधा भाग दाई सर्विस कोर्ट कहलाएगा। पीछे की
गैलरी 215'' फुट तथा साइड गैलरी 19 फुट होगी।
बल्लियां (Poles) -नैट (जाल) को तान कर रखने के लिए दो बल्लियां लगाई जाएंगी। ये बल्लियां फर्श से 5 फुट 1 इंच (1.55 मी०) ऊंची होंगी।
जाल (Net)-जाल बढ़िया रंगीन डोरी का बना होगा। इसकी जाली *" से 1" होगी। इसकी चौड़ाई 2 फुट 6 इंच
(0.76 मीटर) होनी चाहिए। इसका ऊपरी भाग केन्द्र में भूमि से 5 फुट तथा बल्लियों से 5 फुट 1 इंच ऊंचा होना चाहिए। जाल के दोनों सिरों पर 3" दोहरी टेप होनी चाहिए जिनके बीच डोरियां हों जो जाल को बल्लियों पर कस कर ताने रखने के काम लाई जा सकें
चिड़िया (शटल कॉक) (Shuttle Cock)-चिड़िया का वजन 73 ग्रेन (4,73 ग्राम) से 85 ग्रेन (5.50 ग्राम)
हो। इसमें 1" से 115 के व्यास वाली कार्क में 14 से 16 तक कस कर पर लगे हुए हों। परों की लम्बाई 204" से 2% हो
तथा ये 28" " से 20 फैले हुए हों। कार्क का व्यास IV" तक होता है।
खिलाड़ी (Players)-डबल्ज खेल में प्रत्येक खिलाड़ी पक्ष में दो खिलाड़ी तथा सिंगल्ज खेल में प्रत्येक पक्ष में एक खिलाड़ी होगा। खेल के में जो टीम पहले सर्विस करेगी, उस टीम को साइड को इन साइड (inside) और विरोधी टीम की साइड को आऊट साइड (outside) कहेंगे।
टॉस (Tass)- खेल प्रारम्भ होने से पहले दोनों पक्षों द्वारा टॉस किया जाएगा। टॉस जीतने वाला पक्ष निम्नलिखित का
(1).पहले सर्विस करना या
(2) पहले सर्विस न करना या
(3) दिशा का चुनाव करना।
शेष बातों का चुनाव टॉस हारने वाला पक्ष करेगा।
स्कोर (Score)-पुरुषों के डबल्ज और सिंगल्ज के लिए 21 अंकों की खेल होती है।
दिशाएं बदलना (Changing Sides)-पूर्व निर्णय के अनुसार विपक्षी दल तीन खेल खेलेंगे। तीनों में से दो खेल
जीतने वाला विजेता कहलाएगा। खिलाड़ी दूसरा खेल आरम्भ होने पर दिशाएं बदलेंगे। यदि खेल के निर्णय के लिए तीसरा खेल आवश्यक हो तो उसमें भी दिशाएं बदली जाएंगी। तीसरे खेल में खिलाड़ी निम्न प्रकार से दिशाएं बदलेंगे
डबल्ज खेल (Doubles)- पहले सर्विस करने वाले पक्ष का निर्णय होने पर उस पक्ष के दायें अर्द्ध-क्षेत्र का खिलाड़ी शुरू करेगा। वह दायें अर्द्ध-क्षेत्र के विपक्षी
को सर्विस देगा। यदि विपक्षी खिलाड़ी चिड़िया (शटल
कॉक) के भूमि से स्पर्श करने से पहले उसे वापिस कर
दे तो खेल आरम्भ करने वाला खिलाड़ी फिर उसे वापस
करेगा। इस प्रकार खेल तब तक जारी रहेगा जब तक कि
फाऊल न हो जाए या चिड़िया खेल में न रहे। सर्विस वापिस न होने अथवा विपक्षी द्वारा फाऊल होने की दशा
में सर्विस करने वाला एक अंक जीत जाएगा। सर्विस
करने वाले पक्ष के खिलाड़ी अपना अर्द्ध-क्षेत्र बदलेंगे।
अब सर्विस करने वाला बायें अर्दक में रहेगा तथा सामने
की ओर बायें अर्द्धक का खिलाड़ी सर्विस प्राप्त करेगा। (ii) प्रत्येक पारी के आरम्भ में प्रत्येक टीम पहली सर्विस दायें अर्द्ध-क्षेत्र से करेगी
सर्विस सम्बन्धी अन्य नियम
(1)सर्विस वही खिलाड़ी प्राप्त करेगा जिसे सर्विस दी जाती है। यदि चिड़िया दूसरे खिलाड़ी को स्पर्श कर जाए या वह उसे मार दे तो सर्विस करने वाले को अंक मिल जाता है। एक खिलाड़ी खेल में दो बार सर्विस प्राप्त नहीं कर सकता।
(ii) पहली पारी में खेल आरम्भ करने वाला केवल एक ही खिलाड़ी सर्विस करेगा। आगे की पारियों में प्रत्येक खिलाड़ी सर्विस कर सकता है। खेल जीतने वाला पक्ष ही पहले सर्विस करेगा। जीते हुए पक्ष का कोई भी खिलाड़ी सर्विस कर सकता है और हारे हुए पक्ष का कोई भी खिलाड़ी इसे प्राप्त कर सकता है।
(iii) यदि कोई खिलाड़ी अपनी बारी के बिना या गलत अर्द्ध क्षेत्र में सर्विस कर दे और अंक जीत जाए तो वह सर्विस लैट' (LET) कहलाएगी, परन्तु इस 'लैट' की मांग दूसरी सर्विस शुरू होने से पहले की जानी चाहिए।
सिंगल्ज खेल के लिए (For Singles)- ऊपर के सभी नियम सिंगल्ज़ खेल में लागू होंगे परन्तु(D. खिलाड़ी उसी दिशा में दायें अर्द्ध क्षेत्र से सर्विस करेगा या प्राप्त करेगा जब स्कोर शून्य है या खेल में सम (Even) अंक प्राप्त किए गए हों। अंक विषय (Odd) होने की दशा में सर्विस सदैव बायें अर्द्ध क्षेत्र की ओर से प्राप्त की जाएगी।
(ii) अंक बन जाने पर दोनों खिलाड़ी बारी-बारी से अर्द्ध-क्षेत्र बदलेंगे।
रैकट को पकड़ना (Grip of the Racket), 2. स्टांस (Stance), 3. फुट वर्क (Foot Work), 4. फुट वर्क ओन
गार्ड और स्टांस (Foot work on Guard and Stance), 5. पिवट (Pivol), 6. फोरहँड रिटर्न से फुटवर्क (Foot work
from Forchand Return), 7. बैक कोर्ट रिटर्न से फुटवर्क (Footwork for a Back Court Return), 8. सर्विस
(Service) - (1) शार्ट सर्विस (Short Service), () लांग सर्विस (Long Service), (it) सर्विस समय रिसीवर
(Receiver in Service) 9. स्ट्रोकस (Strokes) (i) फोरहँड स्ट्रोक (Fore-hand Stroke), (i) बैक हैंड स्ट्रोक
(Back hand Stroke), (ii) ओवर हैंड स्ट्रोकस (Over Hand Strokes), (iv) नैट स्ट्रोक्स (Net Strokes)।
बैडमिन्टन खेल में त्रुटिया
त्रुटियां (Fouls)-खेल रहे पक्ष के खिलाड़ी द्वारा त्रुटि होने पर उस पक्ष का सर्विस करने वाला खिलाड़ी
आऊट हो जाएगा। यदि विपक्षी त्रुटि करता है तो खेल रहे पक्ष को एक अंक प्राप्त होगा।
त्रुटियां मानी जाएगी (faults)- यदी सर्विस करते समय
चिड़िया खिलाड़ी की कमर से ऊंची हो या रैकेट का अग्ला सिरा चिड़िया को मरते समय सर्विस करने वाले रैकेट वाले हाथ से ऊंचा उठा हो
युक्तियां एवं रणनीति-खेल की प्रणालियां
(1) सिंगल खेल
(2) खेल का डबल पैटर्न
(3) मिश्रित डबल खेल
कुशलताओं का संक्षेप विवरण
1.ऊँची सर्विस-सर्वर सर्विंग कोर्ट में खड़ा होकर अगली टांग पर शरीर का भार डालता है। तब वह दूसरे हाथ से
शटल को रैकेट के हेड की तरफ करता है ज्यों ही शटल नीचे जाती है,वह उसको जोर से और ऊँचा मारता है, जो विरोधी कोर्ट में तिरछी जाती है, जो सिंगल्स के लिए लम्बी सर्विस लाइन के निकट गिरती है।
2. नीची सविंस-इस प्रकार की सर्विस में शटल को अधिक फ्लाइट नहीं दी जाती । शटल इस प्रकार गिरती है कि यह नैट को पार कर जाए। शटल शार्ट सर्विस लाइन के बिल्कुल पीछे गिरनी चाहिए।
3. स्मैश-यह स्ट्रोक इस प्रकार खेला जाता है कि शटल तेजी से विरोधी कोर्ट में नीचे की ओर जाती है। शटल को
बाजू को घुमाकर और इसको कोहनी से सीधा करके जोर से मारा जाता है।
4. ड्रॉप-यह स्ट्रोक इस प्रकार खेला जाता है कि शटल जाल को पार कर जाए और विरोधी कोर्ट में गिरे। खिलाड़ी धीरे से शटल को हाथ की तीव्र क्रिया और कलाई की क्लिक क्रिया से मारता है।
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