वालीबाल
वालीबाल का इतिहास
(history of Volleyball.)
वालीबाल का आविष्कार सन् 1898 ई० में मिस्टर विलियम जी. मैरागन जो YMCA में शारीरिक शिक्षा के
निर्देशक थे, ने किया था। सबसे पहले वालीबाल बास्केट बाल के लैंडर में खेला गया। सर्वप्रथम यह खेल दो टीमों में बैट की सहायता से खेला गया। मैरागन ऐसी खेल खोजना चाहते थे जिसमें शारीरिक शिक्षा की अधिक आवश्यकता न हो और बूढ़े भी इसे खेल सकें और खेल कहीं भी खेली जा सके। इस तरह वालीबाल इन सभी शर्तों को पूरा करता था। इस खेल की शुरुआत में इसका नाम मिन्टोनैंट था। डॉक्टर टी० ए० हैलरटैड जो स्प्रिंग फील्ड काल्ज में थे, ने इस खेल का नाम मिन्टोनैंट में बदल कर वालीबाल रख दिया और इस खेल ने पूरे यू० एस० ए० में प्रसिद्धि प्राप्त कर ली। 1936 में बर्लिन
ओलिम्पिक में यह खेल खेली गई। वालीबाल खेल पुरुषों, महिलाएँ, युवकों, बुजुर्गों में इन्डोर और आऊटडोर खेली जाती है। भारत में वालीबाल YMCA द्वारा प्रारम्भ की गई। भारतीय 1951 में की गई (सभी राज्य) इस संस्था में संबंधित है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1947 में अन्तर्राष्ट्रीय वालीबाल संघ की स्थापना हुई। सन् 1949 में प्रथम विश्व वालीबाल चैम्पियनशिप चैकोस्लाविया में खेला गया। प्रथम एशियन वालीबाल चैम्पियनशिप 1951 में जापान में खेली गई, जिसमें भारत ने स्वर्ण पदक जीते थे। सन् 1952 में मद्रास में प्रथम चैम्पियनशिप का आयोजन हुआ।
वालीबाल के सामान्य नियम-
(1) वालीबाल के खेल में 12 खिलाड़ी भाग लेते हैं जिनमें से 6 खेलते हैं तथा 6 बदलवे (Substitutes)
होते हैं।
(2) भाग लेने वाली दो टीमों में से, प्रत्येक टीम में छ खिलाड़ी होते हैं।
(3) ये खिलाड़ी अपने कोर्ट में खड़े होकर बाल को नेट से पार करते हैं।
(4) जिस टीम के कोर्ट में गेंद गिर जाए उसके विरुद्ध प्वाइंट दे दिया जाता है। यह प्वाइंट टेबल टेनिस खेल की तरह
होते हैं।
(5) वालीबाल के खेल में कोई समय नहीं होता बल्कि बैस्ट आफ थ्री या बैस्ट आफ फाइव की गेम लगती है।
(6) नैट के नीचे अब रस्सी नहीं डाली जाती।
(7) जो टीम टॉस जीतती है वह सर्विस या साइस ले सकती है।
(8) वालीबाल के खेल में 6 (Six) खिलाड़ी बदले जा सकते हैं।
(9) यदि सर्विस नैट से 5 से 6 इंच ऊंची आती है तो विरोधी टीम का खिलाड़ी बाल ब्लॉक कर सकता है।
(10) यदि कोई टीम समय पर नहीं आती तो 15 मिनट तक इन्तज़ार किया जा सकता है। बाद में टीम को स्क्रैच किया
जा सकता है।
(11) एक गेम 25 प्वाइंट की होती है।
(12) लिबरो खिलाड़ी जब चाहे बदला जा सकता है पर वह आक्रमण नहीं सकता।
(13) एनटीने की लम्बाई 1.80 मीटर होती है ।
(14) खिलाड़ी बाल को किक लगा कर अथवा शरीर के किसी दूसरे भाग से हिट करके विरोधी पाले में भेल
सकता है।
(15) यदि सर्विस करते समय बाल नैट को छू जाए और विरोधी पाले में चला जाए तो सर्विस ठीक मानी जाएगी।
(16) यदि कोई खिलाड़ी बिना बाल के नैट को छू ले तो फाऊल नहीं होता।
(17) ब्लाकर ब्लाक करते समय खिलाड़ी यदि नैट के निचले भाग छू ले तो फाऊल नहीं होता पर यदि ब्लाकर ऊपर की पट्टी को छू लेता है तो उसका फाऊल हो जाता है।
(18) यदि कोई खिलाड़ी बाल को जोन चार से लिफ्ट करता है और दो नम्बर वाला खिलाड़ी डाजिंग एक्शन में
नैट की ऊपरी पट्टी छू लेता है तो फाऊल नहीं होता। परन्तु यदि मैट को छूने वाले स्थान से नैट की ऊँचाई कम हो जाती है और उस कम हुए स्थान से कोई खिलाड़ी स्मैश करता है तो फाऊल होता है।
(19) यदि किसी खिलाड़ी की ऊपरी बाडी सैंटर लाइन से दूसरी तरफ ग्राऊंड में चली जाती है और विरोधी खिलाड़ी
को डिस्टर्ब करती है तो फाऊल होता है। यदि डिस्टर्ब नहीं करती तो फाऊल नहीं होता।
(20) सर्विस एरिया की लम्बाई 9 मीटर होती है।
(21) आक्रमण रेखा दोनों तरफ की ओर 1.75 की डाऊट रेखा होती है।
(22) लिबरो टीम में एक विशेष खिलाड़ी होता है, वह केवल डिफैंस के लिए होता है।
(23) जर्सी (T-shirt) के पीछे LIBERO लिखा होता है।
(24) टेबल टेनिस की तरह इस खेल में सर्विस का एक अंक होता है।
(25) खेल प्रतियोगिता में रंगीन बाल का प्रयोग होता है।
वालीबाल कोर्ट व सम्बन्धित खेल उपकरणों का विशिष्ट उल्लेख
*मैदान का आकार = 18 मी० x 9 मी०
*रेखाओं की चौड़ाई = 5 सैं.मी.
*जाल का आकार =लम्बाई 9.50 मी०, चौड़ाई 1 मी०
*जाल में छेद का आकार =10 सैं.मी.
*पुरुषों के लिए भूमि से जाल की ऊँचाई= 2 मी. 43सैं.मी.
*स्त्रियों के लिए भूमि से जाल की ऊँचाई =2 मी. 24सैं.मी.
*गेंद का भार = 260 ग्राम से 280 ग्राम
*गेंद की परिधि = 65 सैं.मी. से 67 सैं.मी.
*टीम में खेलने वाले खिलाड़ियों की संख्या = 6
*बदलवें खिलाड़ी. = 6
*पोलो की साइड लाइनों में दूरी = 50 से 100 सें. मी. या 1 मीटर
*टी. शर्ट की पीठ पर नम्बरों का आकार
लम्बाई न्यूनतम 15 सें. मी., चौड़ाई न्यूनतम 10 सें. मी.
*खेल में अधिकारी
= सात (एक रैफरी, एक अम्पायर, एक स्कोरर, दो से चार लाइनमैन)
*एंटीना की लम्बाई
महत्त्वपूर्ण टूर्नामैंट्स
(Important Tournaments)
1. राष्ट्रीय वालीबाल चैम्पियनशिप
2 राष्ट्रीय स्कूल नैशनल गेम्ज
3. पूर्णमा ट्राफी
4. विश्व कप
5. गेम्स वालीबाल चैम्पियनशिप
6. कॉमनवैल्थ वालीबाल चैम्पियनशिप
वालीबाल की तकनीक
ओवरहैड पास-
शरीर की पोजीशन में पांव कन्धों की चौड़ाई जितने रखकर हिलाते हुए आगे पांव करके, घुटनों को थोड़ा मोड़कर रखें। हाथों को माथे से ऊपर तैयार रखें। उंगलियों को समभुज आकार में बॉल के ऊपर रखें, अंगूठे और तर्जनी अंगुलियां त्रिकोण बनाती हुई तो परन्तु तर्जनी उंगलियां 10 सें.मी. और चार इंच खुली हो और अंगूठे 5 सैं.मी. और 2 इंच खुले, बाकी की अंगुलियां बाल के ऊपर हों। फोरआर्म पास-बॉल को खेलने के लिए फोरआर्म पास बहुत बढ़िया होता है जो कि ओवरहैड पास के साथ वापिस नहीं किया जाता। शरीर की स्थिति में पांवों कन्धों जितनी चौड़ाई में रख कर, भार पांवों के पंजों पर डालें, एड़ी पंजे से सम्बन्धित एक पांव दूसरे पांव से थोड़ा आगे रखें। खिलाड़ी का शरीर कुछ बैठने जैसी स्थिति में हो और घुटने लगभग 90° पर मुड़े हों। पीठ बिल्कुल सीधी हो। हाथ आपस में ऐसे जुड़े हों कि एक हाथ की उल्टी ओर का भाग दूसरे हाथ के सीधे भाग पर अंगूठों को सीधे बीच की ओर की मोड़कर रहें।
तेज़ हिट अथवा स्मैश-
वॉलीबाल में स्मैश एक प्रमुख आक्रामक हथियार है, जो कि खेल में उत्तेजना उत्पन्न करता है। स्मैश में बॉल को अपनी ओर से विरोधी टीम के कोर्ट में इतनी शक्ति के साथ मारा जाता है कि बॉल वापिस मारने से पहले ही ज़मीन से टकरा जाए। इसके लिए शरीर को बॉल की सीध में रखा जाता है। स्मैश लगाने वाला नैट से 8 फुट की दूरी से चलना आरम्भ करता है। जैसे ही बॉल आती है वह उसकी ओर लपकना आरम्भ कर देता है। दूसरे कदम पर वह दोनों बाजुओं को पीछे की ओर घुमाता है, कन्धों को नैट के समानान्तर रख कर बॉल की ओर कदम बढ़ाता है। बॉल को खुले हाथ से मारें। पहले बाल को हाथ के उभरे भाग से मारें। फिर कलाई को आगे की ओर घुमाएं और हथेली और अंगुलियों को बॉल ऊपर लगाएं। नैट पर टकराए बिना आगे को बढ़ें।
हाथ नीचे रख कर सर्विस करना—
इस प्रकार की सर्विस का प्रयोग वे खिलाड़ी करते हैं, जो अभी सीख रहे होते हैं अथवा जो अपनी सर्विस पर नियन्त्रण रखना चाहते हैं । यह धीमी गति की सर्विस होती है। शरीर लड़खड़ाने की स्थिति में होता है। बायां पांव पीछे की रेखा से लगभग 60 सें.मी. से 2.40 मी. आगे को होता है और शरीर बॉल जाने की दिशा में होता है। बाएं हाथ से पकड़ कर बाल शरीर के सामने लगभग 30 सें.मी. और 12 इंच आगे कूल्हे के दाईं ओर होती है। इससे बॉल दाएं कंधे के आगे आ जाती है। मारने वाली बाजू लोलक की गति से पीछे आती है, फिर आगे बाल की ओर जाती है।
हाथ ऊपर उठा कर सर्विस करना—
यह सर्विस एक आक्रामक हथियार है जिससे एक वृत्तकार सर्विस पर एक प्वाइंट किया जाता है अथवा फिर खराब किस्म की रिटर्न मारी जाती है। शरीर को बेस लाइन से 60 सें.मी. से 3 मी. तक डगमगाते हुए रखा जाता है। दाएं कन्धे के सामने बॉल को दोनों हाथों में पकड़ा जाता है। बायां हाथ बॉल के नीचे और दायां हाथ ऊपर रखा जाता है। आराम से बॉल को 60 सें.मी. और 2 फुट ऊँचा और 45 सें.मी. और 18 इंच दाएँ कंधे के सामने रख कर उछालें। ऊँचा उछालने की कोई आवश्यकता नहीं होती। फिर
बाजू को बॉल पकड़ने की दूरी पर आगे बढ़ाए, शरीर का भार पीछे वाले पाँव पर हो। मारने वाली बाजू को आगे लाकर शरीर का पूरा भार आगे वाले पांव पर लाएं। कन्धे सामने, सिर की ऊँचाई पर तब हाथ बॉल से टकराता है। बॉल के मध्य वास्तविक स्पर्श हथेली के उभरे और नीचे वाले भाग से होता है।
ब्लॉक करना-
ब्लॉकिंग एक दो अथवा तीन रक्षात्मक खिलाड़ियों के द्वारा आक्रमणकारी टीम द्वारा अच्छा स्मैश लगाने पर उसे मिले लाभ को रोकने के लिए प्रयोग की गई तकनीक है। अनिवार्यत बॉल को हिट करते समय बाजुओं को सीधा आगे को करके जम्प करने की यह एक क्रिया है और अथवा तो विरोधी पक्ष के कोर्ट में तुरन्त बॉल को नीचे को मारना अथवा बॉल की उड़ान को ऊपर और पीछे को मोड़ना है, जिससे ब्लॉक लगाने वाली टीम को सैट पर पकड़ बनाने और आक्रमण करने का अवसर मिल जाता है।
th, td {
padding-top: 10px;
padding-bottom: 20px;
padding-left: 30px;
padding-right: 40px;
}
Sign up here with your email
ConversionConversion EmoticonEmoticon